सांस्कृतिक विरासत

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The Bureau of Overseas Buildings Operations Office of Cultural Heritage implements a stewardship program for the care of the U.S. Department of State’s culturally, historically, and architecturally significant properties and collections through research, conservation, educational programs and exhibit design, and maintenance protocols. During the initial work for the New Delhi New Embassy Compound Phase 1, the design team performed a Historic Structures Report and evaluated the cultural significance of the existing historic structures to ensure that the new modern design the future buildings preserved their significance while honoring their legacy.

ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण संपत्ति का रजिस्टर

राज्य के सचिव (सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट) के सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण संपत्ति के रजिस्टर (रजिस्टर ऑफ़ कल्चरली सिग्नीफिकेंट प्रॉपर्टी) को एक व्हाइट हाउस मिलेनियम परियोजना के रूप में २००० में स्थापित किया गया था। यह महत्वपूर्ण राजनयिक विदेशी वास्तुकला और संपत्ति की एक संमानित सूचि है जो हमारे देश की अंतरराष्ट्रीय विरासत में प्रमुखता रखती है। इनमें चांसरी, सरकारी आवास, कार्यालय भवन, एक संग्रहालय, एक राष्ट्रीय कब्रिस्तान और अतिथि गृह शामिल हैं। विदेश विभाग का रजिस्टर अमेरिकी इतिहास और वास्तुकला के संरक्षण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विदेश विभाग अद्वितीय और महत्वपूर्ण इमारतों को पेशेवर प्रबंधन, संरक्षण और रखरखाव प्रदान करता है। रजिस्टर इस विरासत के अमेरिकी इतिहास और वास्तुकला को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए कार्य करता है।

अमेरिकी दूतावास नई दिल्ली चांसरी

अमेरिकी विदेशी निर्माण के सुनहरे दिनों के दौरान १९५० के दशक में निर्मित अमेरिकी दूतावास नई दिल्ली की चांसरी राष्ट्रपति ड्वाइट डी आइजनहोवर (१९५३ - १९६१) के प्रशासन के दौरान अनुमोदित पहली प्रमुख दूतावास निर्माण परियोजना थी। मास्टर आर्किटेक्ट एडवर्ड ड्यूरेल स्टोन द्वारा डिजाइन कि गयी चांसरी में उन्होंने स्वतंत्र भारत के प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिबद्धता को इतिहास और कल्पना के एक यादगार प्रतीक के रुप में अभिव्यक्त किया था।

नई दिल्ली दूतावास (१९५९ का दौर)

दूतावास आर्किटेक्ट स्टोन के आधुनिकतावादी दर्शन का एक बानगी उदाहरण है, जो अंतरराष्ट्रीय शैली के शुरुआती प्रतिपादकों में से एक रहे। यह एक सानुपातिक बॉक्स रूपात्मक शैलीगत एक मंच पर खड़ा है - जैसे खुली जगह में उभर आती एक सरलतापूर्ण अलग वस्तु। पानी और खुली हवा के उपयोग से केंद्रीय पूल मुगल उद्यान प्रेरित धरती पर स्वर्ग की याद दिलाता हैं। बाहरी ग्लास पर्दे की दीवार एक ज्वलंत और जलवायु उत्तरदायी सनस्क्रीन द्वारा संरक्षित है। यह उल्लेखनीय थीम आगामी नए दूतावास चरण १ परियोजना के साथ लौटते हैं।

देश के संस्थापक नेताओं में से एक नेहरू ने डिजाइन की प्रशंसा की। फ्रैंक लॉयड राइट ने कहा कि यह संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एकमात्र श्रेय प्रद दूतावास है, उनका मत था कि स्टोन की पत्नी तथा प्रेरणा स्रोत की कदर में इसे "ताज मारिया" बताना चाहिए। जैसे-जैसे आधुनिकतावादी वास्तुकला के संरक्षण की सराहना दुनिया भर में बढ़ रही है इस प्रकार भारत में स्थित यह चांसरी सराही हुई ऐतिहासिक स्थलों को दिए गए महत्व को प्राप्त कर रही हे।

रूजवेल्ट हाउस

नई दिल्ली के अमेरिकी दूतावास से समकालीन निर्मित राजदूत का निवास भी मास्टर आर्किटेक्ट एडवर्ड ड्यूरेल स्टोन द्वारा डिजाइन किया गया था, जिस को आज रूजवेल्ट हाउस से जाना जाता है। दूतावास की तरह, यह निवास एक सानुपातिक बॉक्स है। यह घर हल्के रंग की टेराज़ो दीवारों के साथ एक कंक्रीट संरचना है और एक विशाल प्रलंबित छतरी निवास के अग्रभाग को छायांकित करती है।

Roosevelt House: The Residence of the U.S. Ambassador to India

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एक महत्वपूर्ण वास्तुशिल्प सफलता

जॉन केनेथ गालब्रेथ, रूजवेल्ट हाउस के प्रथम निवासी, भारत में अमेरिकी राजदूत।

एतिहासिक महत्व की परिभाषा

लगभग सात दशकों के संचालन के बाद, अमेरिकी विदेश विभाग ने नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास परिसर के वास्तुशिल्प और ऐतिहासिक महत्व को यादगार बनाने के लिए एक अध्ययन शुरू किया, जो सुविधा1 के उचित प्रबंधन का मार्गदर्शन करने के लिए आवश्यक पृष्ठभूमि की जानकारी प्रदान करता है । रिपोर्ट में चांसरी, रूजवेल्ट हाउस और उसके जुड़े आधारों पर ध्यान केंद्रित किया गया । रिपोर्ट ने ऐतिहासिक चांसरी संरचना का सम्मान करते हुए और उसकी सनस्क्रीन (जाली) को सलामी देते हुए वाईस/मैनफ्रेडी टीम को नए परिसर की इमारतों के आधुनिक डिजाइन करने की अनुमति दी ।

Period of Significance Timeline: 1954-1965

नई दिल्ली में संयुक्त राज्य अमेरिका दूतावास परिसर दो स्रोतों से अपना महत्व प्राप्त करता है: १) १९४० और १९५० के दशक में विदेशी इमारतों के संचालन कार्यालय (फॉरेन बिल्डिंग्स ऑपरेशन्स) का विस्तार और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया भर में लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने के लिए एक आधुनिक वास्तुकला को अपनाने की अमेरिकी राजनयिक रणनीति के साथ इसका जुड़ाव, जिसमें और विशेष रूप से भारत शामिल हैं; और २) एक मास्टर वास्तुकार, एडवर्ड ड्यूरेल स्टोन द्वारा दूतावास परिसर की योजना, जिन्होंने औपचारिक और सजावटी गुणों के साथ आधुनिक वास्तुकला के उन सिद्धांतों को संयुक्त किया जो युद्ध पूर्व वर्षों की अपनी अंतरराष्ट्रीय शैली की इमारतों के विकास का प्रतिनिधित्व करते थे।

भारतीय राजधानी ने एक उपयुक्त राष्ट्रीय छवि के लिए एक प्रमुख मंच प्रदान किया। भारत की नव स्वतंत्र सरकार ने विदेशी मिशनों के लिए एक राजनयिक एन्क्लेव बनाने के प्रयोजनों के लिए भूमि के एक बड़े अविकसित भूखंड को अलग रखा था, यह इस कारण महत्वपूर्ण है के यहाँ उपस्थित होने से अमेरिकी दूतावास की इमारतों की तुलना निवासियों, आगंतुकों और अन्य राजनयिकों द्वारा वैश्विक समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली समकालीन संरचनाओं से तुरंत की जा सकती है। अमेरिका ने १९५४ में डिप्लोमैटिक एन्क्लेव में कुल २८ एकड़ जमीन के दो प्लॉट हासिल किए थे। अमेरिकी साइट एन्क्लेव के केंद्रीय मार्ग, - सेंट्रल विस्टा रोड - के सम्मुख स्थित रही, जिसे बाद में शांतिपथ का नाम दिया गया।

यह इस बात के शानदार उदाहरणों में से एक है कि कैसे अमेरिका ने खुलापन और कूटनीति की भावना पैदा करने और व्यक्त करने के लिए वास्तुकला का प्रयोग किया ।

माइकल मैनफ्रेडी, सह-संस्थापक : वाइस / मैनफ्रेडी

जनवरी १९५९ में नई दिल्ली अमेरिकी दूतावास का अनावरण हो रहा है।

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जनवरी १९५९ में खुलने पर हजारों ने चांसरी का दौरा किया।
अमेरिका ने नई दिल्ली में दूतावास खोला (१९५९) - ब्रिटिश पाथे।
नई दिल्ली, भारत में नया अमेरिकी दूतावास, ८ जनवरी १९५९ - यूनिवर्सल न्यूज रीलस।
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चांसरी प्रवेश पर उद्घाटन समारोह - जनवरी १९५९

वास्तुकला की विरासत - ऐतिहासिक दूतावास डिजाइन

दूतावास भवनों के निर्माण के लिए भारत और अमेरिका दोनों में सार्वजनिक और निजी हितों के बीच सहयोग की आवश्यकता थी । एक भारतीय कंपनी- मोहन सिंह तीरथ राम, जिसका नाम अपने दो प्रधानाचार्यों के लिए रखा गया है- ने तीन अन्य प्रतियोगियों को मात देते हुए चांसरी, स्टाफ आवास और घरेलू कामगार क्वार्टरों के लिए अनुबंध जीता। सिंह की कंपनी ओरिएंटल बिल्डिंग एंड फर्निशिंग्स ने रूजवेल्ट हाउस और अतिरिक्त स्टाफ आवास के लिए जनरल कॉन्ट्रेक्टर (ठेकेदार) के तौर पर भी काम किया ।

ठेकेदार ने स्टोन के कार्यालय में बने प्लानस को निर्माण पर्यवेक्षकों और मजदूरों द्वारा साइट पर इस्तेमाल की गए कार्यकारी आलेखन में बदलने की जिंमेदारी अदा की । उन्होंने सामग्री की कमी और अन्य मुद्दों से उत्पन्न समस्याओं के समाधान का भी सुझाव दिया । दूतावास का ८० प्रतिशत से अधिक निर्माण भारत में बनी सामग्रियों से किया गया था, और जैसा कि स्टोन ने अपनी आत्मकथा में वर्णन किया है, यह दूतावास अधिकांश रूप में हस्त निर्मित था ।

जिस तीन वर्षों के दौरान चांसरी का निर्माण किया गया था, उस समय साइट पर करीबन १,८०० लोग रहते थे, और ४५० भारतीय पुरुषों और महिलाओं ने राजदूत के निवास पर काम किया ।

भारतीय श्रमिकों ने निर्माण के अधिकतम हिस्से के कार्यभार को पूरे करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया , और बहुत कुछ सामग्री या तो हाथ से बनाई गई थीं या हाथ से तैयार की गई थीं, जिसमें स्क्रीन (जाली) की दीवारों में इस्तेमाल किए जाने वाले ट्रेडमार्क टेराज़ो ब्लॉकस शामिल थे । यह प्रतिष्ठित स्क्रीनस (जालियाँ) कंक्रीट और संगमरमर के मिश्रण से बने थे, और एक फुट के ढांचे (मोल्डों) की एक श्रृंखला में साइट पर ढाए गए थे । मंच (पोडियम) फ़र्श में लगे छोटे-छोटे पत्थरों को शिल्पकारों ने पवित्र गंगा नदी से एकत्र किए थे।

नई दिल्ली राज्य दूतावास की उच्च कोटी की परिष्करण में हाथों की कारीगरी का जिम्मा है । भारतीय शिल्पकला के पारंपरिक रूप से उत्कीर्णन रचना उसकी जटिल लय से विचारपूर्वक अभ्यस्त थी।

आर्किटेक्चरल फोरम, १९५९

विदेशों में एक दूतावास का स्थान मेजबान देश के वास्तुकला और परिदृश्य पर शोध करने का अवसर बनाता है। महलों, मकबरे, किलेबंदी और औपचारिक उद्यानों की भारत की महान विरासत, जो उत्तरी भारत के मुगल और राजपूत राजवंशों में चरम पर पहुंच गई थी, नई दिल्ली में नए दूतावास डिजाइन के लिए शक्तिशाली और नाजुक दोनों नमूने प्रदान करती है। डिजाइन बनाने से पहले वाईस/मैनफ्रेडी ने भारत में कई ऐतिहासिक स्थलों की तस्वीरें खींचते हुए उनका दौरा किया और इस नमूनों के वास्तु आधार-सार का अन्वेषण किया।

उसी परिसर के हिस्से के रूप में, वाईस/मैनफ्रेडी का डिज़ाइन एडवर्ड ड्यूरेल स्टोन के साथ संवाद में है। स्टोन ने भी भारत का दौरा किया, उन्होंने अपना पहला स्केच पेश करने से कुछ ही हफ्तों पहले ताज महल का दौरा किया था। नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास की ऐतिहासिक और नई डिजाइन दोनों समान संदर्भ बिंदुओं से जुड़े हैं, हालांकि वाईस/मैनफ्रेडी और एडवर्ड ड्यूरेल स्टोन ऐतिहासिक स्थलों के विभिन्न पहलुओं से प्रेरित थे।

भारतीय वास्तुकला जलवायु - जो मौसम के आधार पर बहुत गर्म, शुष्क या गीले हो सकते हैं - पर प्रतिक्रिया करने के लिए असंख्य तरीके भी प्रस्तुत करती है । मुगल वास्तुकला में बारीक नक्काशीदार स्क्रीन और छतरियाँ (कैनोपियां) सुपरिचित विशेषताएं हैं, दोनों ही सूर्य की तीव्रता को बिखरा देते हैं और वर्षा-ऋतु में आश्रय देते हैं। जल संरचनाओं, जैसे कि बावड़ी (स्टेप वेल) और परावर्तक कुंड (पूल), शुष्क मौसम में पीने के पानी का संग्रह और गर्मी में वाष्पीकरणीय शीतलन प्रदान करते हैं। मुगल वास्तुकला में बुने हुए यह पर्यावरण उन्मुख एजेंडे नए दूतावास के डिजाइन में प्रेरणादायक थे।

राजनयिक विरासत का विकास

अब, एडवर्ड ड्यूरेल स्टोन द्वारा मूल डिजाइन के लगभग साठ साल बाद, नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास दुनिया के सबसे बड़े राजनयिक मिशनों में से एक है। दूतावास वर्तमान में सत्रह अमेरिकी संघीय (फेडरल) एजेंसियों का प्रतिनिधित्व करता है और चार वाणिज्य दूतावासों की गतिविधियों का समन्वय करता है: मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और हैदराबाद। हालांकि मूल दूतावास की इमारत और उसकी साइट का विस्तार पिछले दशकों में समान रहा है, लेकिन जगह, सुरक्षा और स्थिरता की मांग बदल गई है। इन चुनौतियों को दूर करने और दूतावास स्थल को बहुक्रियाशील परिसर के रूप में पुनर्जीवित करने की तत्काल आवश्यकता से यह वर्तमान नवीकरण, विस्तार और परिवर्तन की परियोजना बढ़ी।

२०१५ मे संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश विभाग ने वाइस/मैनफ्रेडी को नई दिल्ली में दूतावास की नई इमारत डिजाइन करने के लिए एक मास्टर प्लान बनाने के हेतु अधिकृत किया । जो इस महत्वपूर्ण स्थान की विरासत को पहचानते हुए भारतीय और संयुक्त राज्य अमेरिका के राजनयिक भविष्य की नींव की स्थापना करें । नए दूतावास की डिजाइन नई दिल्ली मे ऐतिहासिक और आधुनिक परंपराओं को दर्शाती है । इसके मध्य में हरियाली के साथ ढाले हुए पत्थर की शृंखलाएँ (कास्ट स्टोन स्क्रीनस की सीरीज) और बगीचे से बनी हरित दीवारें है । यह लचीले डिजाइन का परिचय देते हुए परिसर को २१ वीं सदी मे ले जाता है ।

नई दिल्ली, ऐतिहासिक भारतीय वास्तुकला और वर्तमान कार्यक्रम की जरूरतों में दूतावास की मूल दृष्टि पर विचार करके, वाईस/मैनफ्रेडी का डिजाइन अपने इतिहास और संदर्भ का सम्मान करते हुए दूतावास को आगे लाता है । केंद्रीय गलियारे (सेंट्रल ग्रीन) के साथ एक नया चांसरी, सपोर्ट एनेक्स और कर्मचारी आवास (स्टाफ हाउसिंग) ऐतिहासिक इमारतों से पत्थर की दीवारों, जालियाँ (स्क्रीनस) और छतिरियाँ (कैनोपीज़) के माध्यम से जुड़ें हुए है, जो कि कायकल्पित दूतावास परिसर के कार्यात्मक, प्रतीकात्मक और अभिव्यंजक चरित्र को जोड़ता है ।

नए दूतावास डिजाइन की पूरी कहानी नई अमेरिकी दूतावास नई दिल्ली डिजाइन बुक.

१। चाणक्यपुरी में संयुक्त राज्य दूतावास की किसी भी इमारत की पहचान भारतीय कानून के तहत ऐतिहासिक स्थलों के रूप में नहीं की गई है, और न ही यह कम्पाउन्ड यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल है। १९६६ के राष्ट्रीय ऐतिहासिक संरक्षण अधिनियम (संशोधित) की धारा ४०२ संघीय (फेडरल) एजेंसियों को यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त ऐतिहासिक संपत्तियों या उन देशों द्वारा अपने उपक्रमों के प्रभावों को ध्यान में रखने का निर्देश देती है, जिनमें वे स्थित हैं। अमेरिकी राज्य विभाग ने २००४ में राज्य के सचिव की सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण संपत्ति की सूची पर रखकर चांसरी के महत्व को मान्यता दी। यह सूची (रजिस्टर), जिसमें छब्बीस अमेरिकी राजनयिक संपतियाँ शामिल हैं, अमेरिकी इमारतों और विदेशों में अपने स्थापत्य और कूटनीतिक महत्व के स्थलों का सम्मान करती हैं।

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