दूतावास परिसर डिजाइन

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दूतावास के लिए नवीन दृष्टिकोण

यह एक बेहद प्रतीकात्मक और बहुत महत्वपूर्ण आगमन है । पूल के चारों ओर टहलते चबूतरे पर चढ़ना, भव्य सील द्वारा परिसीमित क्रमशः उभरता यह दृश्य-फ्रेमिंग । यह सब कूटनीति के लिए एक मंच स्थापित करने में वस्तुतः और आलंकारिक रूप से योगदायी रहे ।

मैरियन वाईस, सह-संस्थापक वाईस/मैनफ्रेडी
Weiss/Manfredi Sketch of New Design

नया डिज़ाइन २८ एकड़ के परिसर का पुनर्निर्माण करता है, जो इक्कीसवीं सदी में राजनयिक संबंधों के लिए एक नवीन मंच प्रदान करता है । यह स्थल, सुरक्षा और स्थिरता के लिए दूतावास की वर्तमान जरूरतों पर विचार करते हुए पारंपरिक भारतीय वास्तुकला और परिदृश्य पर अनुसंधान के अनुसार बना है। एडवर्ड ड्यूरेल स्टोन की दृष्टि में बागीचों के बीच बनीं मंदिर जैसी इमारतों दूतावास की विशेषता को दर्शाती थी। इमारतों और परिसर के दो ब्लॉक के बीच संयोजन को मजबूत करने के लिए वाइस/मैनफ्रेडी ने उद्यान की कल्पना की, जो कि नया सैंट्रल ग्रीन (केंद्रीय हरित पथ) होगा। परिसर के केंद्र में एक विस्तृत लम्बा उद्यान जिसमें पंक्तिबद्ध शाही दिखने वाले ताड़ के पेड़, पुष्पों से सजे गुलमोहर के वृक्ष और अन्य स्वदेशी पेड़ खिलेंगे । यह सैंट्रल ग्रीन अंतर्संयोजनात्मक परिसर की प्रत्येक ऐतिहासिक और नवीन इमारत को एक स्थान और परिचय देता हैं।

Site Model

सैंट्रल ग्रीन पर यदि जाएं तो वह नई संरचना को उदघाटित करता है, जिनमें से प्रत्येक इमारत वास्तुकला की समन्वित भाषा बोलती है जो पत्थर की स्क्रीन, बड़ी पत्थर की दीवारों और छतरि यों से बना है। मंडप के मुख्य द्वार से सैंट्रल ग्रीन ऐतिहासिक प्रतिबिम्ब वाले तालाब और रूज़वेल्ट हाऊस तक जाता है, जो नए सपोर्ट एनैक्स और सेवा मंडपों द्वारा संशोधित किया गया है। सैंट्रल ग्रीन के भीतर घुमावदार पत्थरीले रास्ते अप्रत्यक्ष रूप से प्रत्येक इमारत को उद्घाटित करते हैं। ऐतिहासिक चांसरी एक नई रोशनी में दिखाई देती है, जिसे बीच में से नहीं किनारे से सदृश बनाया गया है।

नई इमारत का स्क्रीन वाला अग्रभाग पत्थरीले रास्तेके संबंध में ऐसा दिखता है जैसे उद्यान की परतों की जाली है; यह स्क्रीन बाहरी क्षेत्र को सुव्यवस्थित करती है। यह भूदृश्य इस स्थान को एक लम्बा आयाम देता है, जो दफ्तर के रास्ते को निचले उद्यानों से प्रदीप्त करता है। सैंट्रल ग्रीन की परिधि पर आती मार्गदर्शक परिसंचरण वाली पथरीली दीवारें पूरे परिसर में एक अभिव्यंजक ज्यामिती बनाती है।

आगे चलकर नई चांसरी इमारत ऐतिहासिक चांसरी इमारत के एकदम सामने बनी है, जो नई पुरानी इमारतों में एक संवाद जैसा स्थापित करती दिखाई देती है। नई चांसरी इमारत में तीन मंज़िल हैं जो कार्यालय क्षेत्र और जनता के लिए कांसुलर सेवा प्रदान करती हैं। और आगे चलते हुए नवीन आवासीय इमारतें हैं और दूसरी नई कार्यालय इमारत, सपोर्ट एनैक्स, जो दूतावास की कार्यक्षमता को व्यापक बनाती हैं। दूतावास के वर्तमान ढाँचे को बनाए रखते हुए परिसर को इक्कीसवीं सदी की आवश्यकताओं से जोड़ना, प्रत्येक नई इमारत को अद्वितीयता प्रदान करता है।

परावर्ती कुंड (रिफ्लेक्टिंग पूल)

परावर्ती कुंड (रिफ्लेक्टिंग पूल) के नए डिज़ाइन में पीने योग्य पानी का उपयोग नहीं किया जाता है और पूरे परिसर में पानी के प्रयोग को भी कम करता है। पूल मानसून में एक पानीसोख (स्पंज) की तरह काम करता है, वर्षा के पानी को सम्भालता है, जो एक मिलियन गैलन पानी को उपचार के लिए संग्रह करता है और निचले परत के पूल में पुन: प्रयोग में लिया जाता है। भारत की पारंपरिक बावड़ियों की तरह यह पूल भी साल भर काम करेगा, केवल सूखे मौसम में खाली हो जाएगा। वर्तमान पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए और एडवर्ड ड्यूरेल स्टोन के दृष्टिकोण को याद रखते हुए पानी न रहने पर भी पूल का चमकीला तल चांसरी का प्रतिबिम्ब दिखाता रहेगा।

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बाएं / ऊपर : चांसरी इमारत की प्रेरणा ताज महल से मि ली थी: परावर्ती पूल, पेड़ों की एवेन्यू, मंच जैसा आधार; संरचना की कोमलता व समृद्धता। बाएं / नीचे : परावर्ती पूल के नीचे (पानी संग्रह की) टंकी ।

एक कायाकल्पित प्राकृतिक दृश्य

भारतीय वास्तु परम्पराओं में उद्यानों की मुख्य भूमिका है। नए दूतावास का दृश्य गुलमोहर के गहरे लाल फूलों, रूएला पौधों के जामनी और हरे पत्तों से संतृप्त ताड़ के पेड़ शीतलता प्रदान करते है। पथ के साथ-साथ, पत्थरीले रास्ते और घास का तालमेल कुछ ऐसा है कि वह हरियाली और ठोस पदर्थो से बने दृश्य को बहुत ही सुंदर बनाते हैं। ४०० से अधिक नए वृक्ष प्रदूषित हवा को सोख कर साफ करते हैं और प्रदूषक गैसों को कम करते हैं। इमारत के अग्रभाग पर की गई टाइटेनियम की पर्त (कोटिंग) भी हवा को प्रदूषित करने वाले कणों को हटाने में सहायता करेगी। सूखा सह सकने योग्य पौधे पानी की खपत को कम करते हैं।

पत्थर की दीवारें

दूतावास में कई गतिविधियाँ होती हैं, कुछ जगह समारोह के लिए है, जबकि कुछ अन्य उपयोग के लिए है। यहाँ पर बनीं दीवारें दूतावास की सुरक्षा की आवश्यकता है, यहाँ पर प्रचुर उद्यान शांति और सुरक्षा का अहसास देते हैं। परिधि से आरम्भ होते हुए, आसानी से प्रवेश मंडप (एक्सेस पवेलियन) तक पहुंचाने वाली घुमावदार दीवारें आरामदायक गति प्रदान करती हैं।

एक बार दूतावास के भीतर आने के बाद उद्यान के रूप में बनीं दीवारें दूतावास के विभिन्न विभागों को परिभाषित करती हैं, यह अनुभव भारतीय किलों फतेहपुर सीकरी और आगरा फोर्ट की याद दिलाता है। प्रमुख बिंदुओं पर पत्थर की दीवारों को गोलाकार करना या घुमावदार बनाने से दूतावास परिसर स्वागत करता हुआ सुखद ज्यामिति दर्शाता है। पत्थर की दीवारें बाहर से अंदर भी आती हैं जो वास्तु और प्राकृतिक दृश्य को समानता की भाषा में बांधता है।

नए दूतावास में बड़ी मात्रा में स्थानीय पत्थरों का उपयोग किया गया है जिनमें से मुख्य हैं, कोटा चूना पत्थर (लाइमस्टोन), सुनहरा सागौन बलुआ पत्थर (गोल्डन टीक सैंडस्टोन) और अम्बाजी सफेद संगमरमर। केंद्रीय हरियाली के साथ-साथ चलने वाला पथ ग्रैनाइट के दो रंगों का मिश्रण है जिनका स्रोत भारत में ही है। परिसर के प्रवेश मंडपों (एक्सेस पवेलियनस) पर सुनहरा टीक बलुआ पत्थर दीवारों को एक नर्मी प्रदान करता है। भारत के उत्पाद का ही इमारत और परिदृश्य में प्रयोग ने पर्यावरण को अत्यधिक प्रभाव से बचाया है जो अकसर महाद्वीपों के आर-पार माल के आदान प्रदान में होता है। साथ ही इमारत और पथिकों के पथ को स्थानीय संदर्भ से भी जोड़ता है।

आगमन पथ और नई चांसरी इमारत

नई इमारत के प्रांगण में एक छिछले पूल द्वारा दूतावास परिसर में पानी के प्रयोग से एक शांतिपूर्ण परावर्तक स्थान की छवि बनाई गई है। तालाब के उस पार प्रवेश की ओर पुल पर चलते समय छतरियां और वाष्पित जल ठंडक प्रदान करते हैं। आगमन प्लाज़ा का स्थान मंच पर होने के बजाय सकारण भूमितल पर है जो मुख्य द्वार तक अत्यधिक सुगम्यता से पहुंचाता है।

घुमावदार पत्थर के बने ड्रम इमारत के प्रवेश की भूमिका तैयार करते हैं। हालांकि ड्रमों में आगरा किले जैसे भारतीय किलेबंदी का उल्लेख लगता है, जो पारंपरिक रूप से रक्षात्मक रूप से पत्थर के अग्रभाग को प्रस्तुत करता है, नया चांसरी एक विशाल कांच के मुखौटे के साथ खुलेपन की भावना पैदा करता है। छतरियों (कैनोपियों) की एक श्रृंखला दूतावास के इतिहास और भारतीय संदर्भ में नवीन समयोजन दर्शातीहैं। छत की गहराई प्रवेश द्वार पर एक प्रभावशाली छतरी बनाती है जो उस पार की ऐतिहासिक चांसरी से मेल खाती है।

अन्य बहुत सारी छतरियाँ, जैसे शेड वाली जाली रूज़वेल्ट हाऊस के उद्यान के साथ, प्रवेश मंडप पे बनीं छतरी नुमा छत, मिलने के स्थान को सूचित करती है और बाहरी स्थान की कार्यक्षमता को भी बढ़ाती है। ये छतरियाँ प्रकाश और छांव के प्रतिमान बनाती हैं। यह धूप-छाँव का खेल दिल्ली के तेज़ सूरज (सब ट्रॉपिकल सन) की तीव्रता को कम करते हुए भूमि को सजीव कर देता हैं।

नई चांसरी इमारत की लॉबी और गलियारा

लॉबी से गलियारे में प्रवेश करते हैं - जो इमारत का केंद्रीय परिसंचरण स्थान है। यह आगंतुकों के लिए मिलने-जुलने का स्थान है, गलियारे में भारतीय कलाकारों की कला प्रतिष्ठापित है और यहाँ एक कैफे भी है। आउटडोर प्लाजा के समान स्तर पर स्थापित, पत्थर से बनी गैलरी इमारत में प्रकाश और परिदृश्य का स्वागत करती है। गलियारा स्मारकीय पत्थर की घुमावदार सीढ़ियों के साथ राजदूत कार्यालय की ओर आगे बढ़ता है।

नए दूतावास डिजाइन की पूरी कहानी नई अमेरिकी दूतावास नई दिल्ली डिजाइन बुक में उपलब्ध है।

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